आधुनिक विश्व में एक शक्तिशाली राष्ट्र की परिभाषा मज़बूत राजनीतिक नेतृत्व, आर्थिक सम्पन्नता, सैन्य क्षमता, अंतरिक्ष तक पहुंच जैसे शब्दावलियों से मिलकर गढ़ी जाती है। इन शब्दावलियों के समूह में सफल कूटनीतिक प्रयासों और रणनीतिक साझेदारियों की भूमिका भी बेहद निर्णायक होती है। अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की दुनिया में किसी राष्ट्र के सामर्थ्य की परिभाषा इस बात पर निर्भर करती है कि कोई राष्ट्र, किसी दूसरे राष्ट्र के व्यवहार को किस हद तक प्रभावित कर सकता है। भू-राजनीति के कई ऐसे पहलू होते हैं, जो किसी देश के लिए वैश्विक स्तर पर अनुकूल स्थितियां और एजेंडे के निर्धारण में प्रभावी लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से अपनी भूमिका निभाते हैं। अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की जटिल दुनिया में कूटनीतिक रणनीति के ऐसे हिस्से को मोटे तौर पर ‘सॉफ्ट पावर’ कहा जाता रहा है। साथ ही, ‘सॉफ्ट पावर’ ऐसी परिस्थितियों का निर्माण करता है , जो ठोस कूटनीतिक फैसलों को लागू करने की राह को आसान कर देता है। इस वर्ष, भारत G-20 की अध्यक्षता और मेज़बानी कर रहा है, जहां ज्वलंत वैश्विक मुद्दों पर विचार-विमर्श और एक सामूहिक कदम की अपेक्षा की जाती है। मेज़बान देश में, दुनिया की सबसे बड़ी बीस अर्थव्यवस्थाएं पहुंच रही हैं और ये मौका है ‘ब्रांड भारत’ को सशक्त करने का भी। ऐसे में भारत की छवि, उसकी स्वीकार्यता, समृद्ध सभ्यतागत परंपराएं, लोकतांत्रिक संस्कार, सांस्कृतिक - वैचारिक -प्राकृतिक विविधता जैसे तत्व अपने आप दुनिया की नज़रों में नए सिरे से उभरने लगते हैं।